खान मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रणाधीन एक सार्वजनिक उपक्रम, की स्थापना 9 नवम्बर 1967 को की गई थी। इसे भारत की एकमात्र एकीकृत तांबा उत्पादक कंपनी होने का गौरव प्राप्त है, जो कि ताम्र उत्पादन का कार्य खनन से लेकर, शोधन, सांद्रीकरण, परिशोधन एवं परिशोधित तांबे की ढलाई करके आगे के बिक्री लायक उत्पाद के रूप में परिवर्तित करने तक का कार्य करती है।
यह कम्पनी ताम्र कैथोड, ताम्र वायर बार, लगातार ढलाई किए गए तांबे के रॉड एवं सह-उत्पादों की बिक्री करती है, जैसे कि – एनोड स्लाइम (जिसमें सोना, चांदी आदि होते हैं), तूतिया (कॉपर सल्फेट) एवं सल्फ्यूरिक एसिड। इसकी 90% से अधिक बिक्री की आय कैथोड एवं लगातार ढलाई किए गए तांबे के रॉडों से प्राप्त होती है। हाल ही में समाप्त वित्तीय वर्ष 2006-2007 के प्रावधानों के अनुसार कम्पनी ने इस वर्ष अपने जीवन के अधिकतम शुद्ध-लाभ में रु.331 करोड़ (75 मिलियन अमेरिकी डॉलर) की कमाई की है, जोकि रु. 1875 करोड़ (420 मिलियन अमेरिकी डॉलर) के बिक्री कारोबार से प्राप्त हुई है। एचसीएल की खानें एवं प्लाण्ट चार इकाइयों के रूप में हैं, जो कि एक-एक करके राजस्थान, मध्य प्रदेश, झारखण्ड एवं महाराष्ट्र में स्थित है. तथा इनका वर्णन निम्नलिखित है : :
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